उत्तर कोरिया ने ईरान पर हमले को लेकर जताई कड़ी नाराज़गी, अमेरिका को भी चेताया
मध्य पूर्व में ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे सैन्य टकराव ने न केवल पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। इस टकराव ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को हवा दे दी है। दुनिया भर के देश और रणनीतिक विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि हालात को तत्काल नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह संकट वैश्विक संघर्ष में तब्दील हो सकता है। इस बीच उत्तर कोरिया ने इस युद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बेहद आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया है। उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के प्रवक्ता ने इज़राइल को “मध्य पूर्व की शांति के लिए कैंसर” बताया है और अमेरिका को भी खुले शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि उसने इज़राइल का समर्थन बंद नहीं किया, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
ईरान-इज़राइल संघर्ष: पृष्ठभूमि
बीते कुछ हफ्तों से ईरान और इज़राइल के बीच तनावपूर्ण हालात युद्ध में बदल चुके हैं। इज़राइल ने ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं, जिनमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा और कई सैनिक मारे गए हैं। इन हमलों की प्रतिक्रिया में ईरान ने भी मिसाइलों से इज़राइली ठिकानों को निशाना बनाया है। दोनों देशों के बीच इस ताज़ा संघर्ष ने मध्य पूर्व की राजनीतिक स्थिति को बेहद अस्थिर कर दिया है। हौसी, हिजबुल्लाह और अन्य ईरान समर्थक गुट पहले से ही सक्रिय हैं और उनके इस युद्ध में कूदने की आशंका बढ़ गई है।
उत्तर कोरिया का कड़ा बयान
उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा:
“इज़रायल का ईरान पर किया गया हमला न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। इज़रायल इस समय मध्य पूर्व की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। वह एक ऐसा कैंसर बन गया है, जो पूरे क्षेत्र को निगल रहा है।”
उत्तर कोरिया ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका इस हमले को खुला समर्थन देता रहा, तो उसे इसके लिए वैश्विक स्तर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
अमेरिका को चेतावनी
उत्तर कोरियाई बयान में अमेरिका पर तीखा हमला करते हुए कहा गया कि:
“यह पूरी दुनिया जानती है कि इज़रायल को कौन संरक्षण दे रहा है। अमेरिका अगर वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे इज़रायल की लगाम खींचनी होगी। वरना आने वाले समय में जब युद्ध की ज्वाला हर कोने तक पहुंचेगी, तब अमेरिका के हाथ भी खून से रंगे होंगे।”
उत्तर कोरिया ने यह भी कहा कि वह ईरान के खिलाफ हो रहे किसी भी अन्याय को सहन नहीं करेगा और जरूरत पड़ने पर उचित प्रतिक्रिया देगा।
तीसरे विश्व युद्ध की आहट?
रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस टकराव में यदि अमेरिका, रूस, चीन या नाटो देश प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। गौरतलब है कि रूस और चीन दोनों ही ईरान के करीबी माने जाते हैं, जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ इज़राइल का समर्थन करते रहे हैं।यदि इन वैश्विक शक्तियों के हित टकराते हैं और वे सैन्य रूप से एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते हैं, तो यह टकराव एक वैश्विक युद्ध का रूप ले सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक प्रेस वार्ता में कहा:
“हमें तत्काल संघर्ष विराम की आवश्यकता है। दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाना बेहद ज़रूरी है, वरना इसका प्रभाव सिर्फ मध्य पूर्व तक सीमित नहीं रहेगा।”
हालांकि अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है और जमीनी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
भारत और अन्य देशों की भूमिका
भारत, जो हमेशा से एक शांतिप्रिय राष्ट्र रहा है, उसने भी इस संघर्ष पर गहरी चिंता व्यक्त की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। साथ ही यह भी कहा है कि भारत इस संकट को कूटनीतिक माध्यमों से सुलझाने का पक्षधर है।
दूसरी ओर तुर्की, कतर और सीरिया जैसे देश भी इस युद्ध के प्रभाव से चिंतित हैं और उन्होंने इज़रायल की निंदा की है।
इज़रायल का पक्ष
इज़रायल का कहना है कि यह हमले “रक्षात्मक कदम” हैं और वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसकी प्रॉक्सी सेनाओं से अपने नागरिकों की रक्षा कर रहा है। इज़रायली प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि:
“हम शांति चाहते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते। अगर हमें खतरा महसूस होगा, तो हम हर आवश्यक कदम उठाएंगे।”
निष्कर्ष: क्या होगा अगला कदम?
ईरान-इज़रायल युद्ध ने न केवल पूरे मध्य पूर्व को तनावपूर्ण बना दिया है, बल्कि वैश्विक शक्तियों के बीच भी असंतुलन पैदा कर दिया है। उत्तर कोरिया का आक्रामक बयान इस बात का संकेत है कि इस संघर्ष में अब अन्य देश भी अपनी स्थिति साफ कर रहे हैं।
अगर जल्द ही कोई ठोस कूटनीतिक पहल नहीं हुई, तो यह संकट तीसरे विश्व युद्ध की चिंगारी बन सकता है।