Panchayat Season 4 24 जून 2025 को Amazon Prime Video पर रिलीज़ हुआ और इसने एक बार फिर से भारतीय वेब सीरीज़ के दर्शकों को अपनी सादगी और गहराई से प्रभावित किया। जब पहली बार 2020 में Panchayat रिलीज़ हुई थी, तब इंडियन वेब सीरीज़ की दुनिया Sacred Games, Mirzapur और Jamtara जैसे थ्रिलर्स से भरी हुई थी, लेकिन Panchayat ने बिना किसी बड़े ट्विस्ट और एक्शन के भी दर्शकों का दिल जीत लिया।
गाँव की वो कहानी जो दिल में बस जाए
Panchayat की कहानी केंद्रित है Abhishek Tripathi (Jitendra Kumar) पर, जो एक शहर का इंजीनियर है लेकिन मजबूरी में यूपी के एक गाँव Phulera में पंचायत सचिव की नौकरी कर रहा है। यहाँ कोई बड़ा विद्रोह नहीं होता, कोई तेज़ परिवर्तन नहीं आता बल्कि रिश्तों की, जज़्बातों की, और इंसानियत की एक धीमी लेकिन गहरी परतें खुलती हैं। शो की असली जान हैं इसके कैरेक्टर्स: Pradhan Ji (Raghubir Yadav), Manju Devi (Neena Gupta), Vikas, Prahlad सब ऐसे लोग जो न परफेक्ट हैं, न क्रांतिकारी, लेकिन सच्चे, साधारण और सम्मान के लायक हैं। खास बात ये कि गाँव के मर्दों को भी इस सीरीज़ ने एक नए नज़रिए से दिखाया है न गुस्सैल, न दबंग, बल्कि भावनात्मक और समझदार।
जब मर्द होना मतलब मजबूत नहीं, संवेदनशील होना हो
इस शो में मर्दानगी की परिभाषा बिल्कुल उलटी है। Pradhan Ji का अपनी पत्नी के लिए प्यार हो, या Abhishek और उसके दोस्तों के बीच बिना बोले समझ बनने वाली बॉन्डिंग हर रिश्ते में एक इमोशनल इंटेलिजेंस झलकती है। Abhishek न तो कोई महानायक है, न आदर्श पुरुष वह परेशान होता है, खुदगर्ज़ भी है, और कन्फ्यूज भी। लेकिन फिर भी, उसका अपनापन, उसके छोटे-छोटे सहयोग, और Phulera की जिंदगी में उसका धीमा घुलना बताता है कि मर्दानगी का मतलब दबाना नहीं, अपनाना भी हो सकता है। Prahlad का कैरेक्टर तो इसकी सबसे बड़ी मिसाल है उसका दुःख, उसका धैर्य और उसकी दोस्ती इस बात को साबित करती है कि मर्द रो भी सकते हैं, टूट भी सकते हैं और फिर भी मजबूत हो सकते हैं।
पितृसत्ता की सच्चाई, लेकिन बिना महिमामंडन
शो इस बात को नहीं छुपाता कि गाँवों में पितृसत्ता आज भी हकीकत है। Manju Devi की शुरुआत में प्रधानी से हिचकिचाहट, या बातचीत में झलकता हल्का-फुल्का सेक्सिज़्म ये सब दिखता है। लेकिन Panchayat इसे काले-सफेद ढांचे में नहीं रखता, बल्कि एक जटिल सामाजिक संरचना की तरह पेश करता है।
Manju Devi कोई नारेबाज़ महिला नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे वह अपने रोल को अपनाती है और सिस्टम के भीतर रहकर बदलाव लाती है। यही शो की सबसे बड़ी ताकत है female empowerment बिना चीख-पुकार के, सिर्फ रोज़मर्रा के छोटे बदलावों के ज़रिए।
जब कहानियाँ चिल्लाती नहीं, चुपचाप असर करती हैं
आज के दौर में जहाँ हर कहानी शोर मचाने की कोशिश करती है, Panchayat धीरे-धीरे अपना असर छोड़ती है। कोई बड़ा ट्विस्ट नहीं, कोई एक्शन नहीं बस ऐसे किरदार जो इंसान हैं, और ऐसी कहानियाँ जो सच लगती हैं।

Amazon Prime Video – Panchayat Season 4 Official Page:
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Chandan Kumar और Deepak Kumar Mishra की यह खूबी है कि उन्होंने एक ऐसा ग्रामीण भारत रचा जहाँ मर्द माफ़ी मांगते हैं, आँसू बहाते हैं, और फिर भी सम्मान खोते नहीं। इस सौम्य मर्दानगी की मौजूदगी ही इस शो को अलग बनाती है।
निष्कर्ष (Conclusion): एक नई परिभाषा, एक नई उम्मीद
Panchayat ने हमें यह नहीं बताया कि मर्द कैसे बनें इसने हमें यह दिखाया कि मर्द कैसे अच्छे इंसान बन सकते हैं। जहाँ पितृसत्ता मौजूद है, वहाँ भी अगर मर्द संवेदनशील, समझदार और सम्मान देने वाले हों, तो बदलाव मुमकिन है धीरे-धीरे, चुपचाप, लेकिन स्थायी रूप से।
इस शो ने साबित कर दिया कि बदलाव सिर्फ विद्रोह से नहीं, विचार से होता है। और इसी में इसकी असली जीत है।