SIP Investment: अगर आप हर महीने ₹5000 बचाकर निवेश करते हैं, तो क्या पता है अगले 5 साल में यह रकम 4 लाख रुपये से ज़्यादा हो सकती है? जी हाँ, म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की यही ताकत है। इस तरीके में हर महीने तय राशि निवेश की जाती है, जिससे बाजार के उतार-चढ़ाव का असर औसत हो जाता है। धीरे-धीरे आपका निवेश बढ़ता जाता है और कम्पाउंडिंग की ताकत से फंड की वैल्यू कई गुना तक पहुँच सकती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि असली फायदा तभी मिलता है जब नजरिया लंबी अवधि का हो क्योंकि ज्यादा समय तक निवेश करने से रुपया ब्याज पर ब्याज कमाता है और बाजार में आने वाले छोटे झटकों का असर भी अपने आप संतुलित हो जाता है।
भारतीय निवेशकों में बढ़ता SIP का क्रेज
वैश्विक अनिश्चितता, ट्रंप टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारतीय निवेशकों का भरोसा सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान पर लगातार बना हुआ है। शेयर बाजार में कभी तेज़ी तो कभी गिरावट के बावजूद निवेशक हर महीने नियमित रूप से निवेश जारी रखे हुए हैं। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पाँच महीनों में SIP inflow लगातार नई ऊँचाइयाँ छूता दिखा है अप्रैल में ₹26,600 करोड़ से बढ़कर अगस्त में यह आंकड़ा ₹28,000 करोड़ के पार पहुंच गया। यह दर्शाता है कि भारतीय निवेशक अब बाजार की अस्थिरता से डरने के बजाय उसे अवसर के रूप में देख रहे हैं।
आज के दौर में रिटेल निवेशक पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा जागरूक और अनुशासित हो गए हैं। वे अब शॉर्ट-टर्म गेन के बजाय लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन पर फोकस कर रहे हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत में निवेश संस्कृति के परिपक्व होने का संकेत है, जहाँ लोग अब अपने फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखकर व्यवस्थित तरीके से निवेश कर रहे हैं।
SIP Calculator: ₹5000 महीने की SIP से कितना बनेगा फंड?
चलिए इसे एक आसान कैलकुलेशन से समझते हैं।
मान लीजिए आप हर महीने ₹5000 का निवेश शुरू करते हैं और यह सिलसिला लगातार 5 साल तक जारी रखते हैं। अब अगर इस अवधि में औसत सालाना रिटर्न 12% CAGR (Compound Annual Growth Rate) का माना जाए, तो SIP कैलकुलेटर के मुताबिक आपका निवेश इस तरह बढ़ेगा
- कुल निवेश: ₹3,00,000
- अनुमानित रिटर्न: ₹1,05,518
- कुल फंड वैल्यू: ₹4,05,518
यानि सिर्फ पाँच साल में ₹3 लाख का निवेश बढ़कर ₹4 लाख से भी ज़्यादा हो जाएगा। अगर आप हर महीने थोड़ी-सी रकम नियमित रूप से लगाते रहें, तो यही अनुशासन लंबे समय में बड़ी पूंजी में बदल सकता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में औसतन 12% सालाना रिटर्न एक यथार्थवादी और टिकाऊ मानक है, क्योंकि पिछले कई वर्षों के बेंचमार्क इंडेक्स भी लगभग इसी रेंज में प्रदर्शन करते रहे हैं। यही वजह है कि निवेशक इसे लंबी अवधि के धन निर्माण के लिए भरोसेमंद साधन मानते हैं।है।
इन फंड्स ने दिए हैं 28% से भी ज़्यादा Returns
कुछ SIP स्कीम्स ने बीते पाँच साल में शानदार परफॉर्मेंस दिखाई है।
1 अक्टूबर 2025 की NAV के आधार पर देखें तो:
- SBI PSU Fund: 28.77% सालाना रिटर्न
- Invesco India PSU Equity Fund: 28.43% सालाना रिटर्न
- ICICI Pru Infrastructure Fund: 28.12% सालाना रिटर्न
इन फंड्स के लगातार बेहतर प्रदर्शन से यह साबित होता है कि Mutual Fund SIP को अगर लंबी अवधि तक चलाया जाए, तो बड़े और स्थिर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।
एक्सपर्ट क्यों कहते हैं “SIP में लंबा नजरिया रखें”
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर ए.के. निगम कहते हैं कि निवेश का सबसे सिस्टमैटिक तरीका है। इसमें छोटी-छोटी रकम से धीरे-धीरे बड़ा फंड बनाया जा सकता है।
उनके मुताबिक, SIP को लंबी अवधि तक रखने का फायदा दो वजहों से मिलता है:
- कम्पाउंडिंग की ताकत – आपका पैसा खुद पर ब्याज कमाता है।
- रुपी कॉस्ट एवरेजिंग – बाजार ऊपर-नीचे होता है, लेकिन औसतन आपकी खरीद लागत संतुलित रहती है।
निगम कहते हैं कि सिर्फ ₹100 महीने की SIP से भी शुरुआत की जा सकती है, इसलिए नए निवेशकों के लिए यह सबसे आसान रास्ता है।
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कम्पाउंडिंग का असली फायदा लंबी अवधि में
PersonalCFO के सीईओ सुशील जैन बताते हैं कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान निवेशकों को “समय की ताकत” का फायदा देता है। उनका कहना है कि जितना लंबा निवेश का समय होगा, कम्पाउंडिंग का असर उतना ही गहरा दिखाई देगा। जब आप कई सालों तक नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आपका पैसा न केवल ब्याज कमाता है बल्कि उस ब्याज पर भी ब्याज मिलने लगता है यही कम्पाउंडिंग का असली जादू है।
सुशील जैन आगे कहते हैं कि बाजार की अस्थिरता से घबराने की ज़रूरत नहीं है। दरअसल, जब बाजार नीचे जाता है, तो निवेशकों को ज़्यादा यूनिट्स सस्ते भाव पर मिलती हैं; और जब बाजार ऊपर चढ़ता है, तो उन्हीं यूनिट्स की वैल्यू बढ़ जाती है। यही रणनीति समय के साथ आपके पोर्टफोलियो को मजबूत बनाती है। उनके मुताबिक, निवेश की दुनिया में सबसे अहम बात “टाइमिंग” नहीं, बल्कि “टाइम” है यानी कब निवेश करते हैं, उससे ज़्यादा मायने रखता है कि कितने लंबे समय तक निवेश करते हैं। यही अनुशासित तरीका धीरे-धीरे एक बड़ा फंड बनाने में मदद करता है।
रिस्क को समझना भी जरूरी
हालाँकि, ए.के. निगम यह भी साफ करते हैं कि SIP पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं है। किसी फंड की पिछली परफॉर्मेंस उसकी भविष्य की गारंटी नहीं होती। इसलिए निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य, आय, और जोखिम उठाने की क्षमता को समझना बेहद जरूरी है।
अगर आप म्यूचुअल फंड्स की बारीकियों से परिचित नहीं हैं, तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।
किसके लिए बेहतर है SIP?
SIP उन निवेशकों के लिए बढ़िया विकल्प है जिनके पास एकमुश्त बड़ी राशि नहीं है, लेकिन रेगुलर इनकम है।
ऐसे लोग हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम बचाकर लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल गोल्स जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की एजुकेशन या घर खरीदने के लिए बड़ा फंड बना सकते हैं।
FY26 में SIP Inflow का हाल
महीना | SIP निवेश (₹ करोड़ में) |
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अप्रैल | 26,632 |
मई | 26,688 |
जून | 27,269 |
जुलाई | 28,464 |
अगस्त | 28,265 |
(स्रोत: AMFI) इन आंकड़ों से साफ है कि भारतीय निवेशक हर महीने SIP में लगातार योगदान दे रहे हैं।
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अगस्त में म्यूचुअल फंड्स का हाल
AMFI (Association of Mutual Funds in India) के डेटा के मुताबिक, अगस्त 2025 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में ₹33,430 करोड़ का निवेश आया।
हालाँकि जुलाई के मुकाबले यह 22% कम था जिसकी वजह नए फंड ऑफर्स (NFOs) में कमी रही। फिर भी, अगस्त लगातार 54वां महीना था जब इक्विटी स्कीम्स में पॉज़िटिव इनफ्लो दर्ज हुआ। Flexi Cap Funds में सबसे ज़्यादा ₹7,679 करोड़ का निवेश आया, जबकि Debt Mutual Funds से ₹7,980 करोड़ का नेट आउटफ्लो देखने को मिला। यह जुलाई में आए ₹1.07 लाख करोड़ के इनफ्लो से बिल्कुल उलट था, जिसकी बड़ी वजह लिक्विड फंड्स से भारी रिडेम्प्शन रही।
SIP है अनुशासित निवेश का रास्ता
अगर आप बाजार में सीधे निवेश से डरते हैं या लगातार मॉनिटरिंग नहीं करना चाहते, तो Investment आपके लिए परफेक्ट रास्ता है।
यह न केवल आपके निवेश को अनुशासित बनाता है, बल्कि धीरे-धीरे एक बड़ा फंड तैयार करता है वो भी बिना किसी एकमुश्त दबाव के।
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड्स में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह अवश्य लें।)
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